प्रेम से पूरित स्त्री...
प्रेम से पूरित स्त्री...
स्त्री सुलभ लज़्ज़ा के आवरण से ,
ढकी हुई स्त्री खुद से अनजान है !
एक स्त्री के लिए उसका अस्तित्व ,
उसकी रसोई उसका कर्मस्थान है !
सप्तपदी के मंत्र पढ़ने के बाद ,
पति के रूप में आया जो इंसान है !
स्त्री का उसके लिए समर्पित हो जाना ,
अपने पति के लिए एक सम्मान है!
अपने प्रिय के प्रेम से पूरित स्त्री ,
ज़ब उसके घर में अपने पैर धरती है !
तो सीता और पार्वती की तरह तरह,
उसमें भी एक देवी वास करती है!