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Ambika Mishra Prakhar

Romance Others

4.0  

Ambika Mishra Prakhar

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प्रेम गीत ---- मैं यूं ही नहीं

प्रेम गीत ---- मैं यूं ही नहीं

1 min
202


मैं यूं ही नहीं मैं यूं ही नहीं सारी रात जगता रहा

इक चांद दिल की छत पे मेरी चढ़ता उतरता रहा।

भावनाओं की प्यासी नदी संग लेकर , 

मगर साथ मादक मदिर प्रीत गंध लेकर

कभी कल्पना के खटोले में शयन कर, 

मधुयामिनी में प्रेम पथ गामिनी को अंक भरता रहा।

मैं यूं ही नहीं.....


था ना जाने का मन उसका मगर, 

वो रुक भी जाता मैं कहता अगर,

प्रश्नसज्जित नयन तो ओझल हो भी गए, 

इधर मगर सारी रात आंखों से झरना सा बहता रहा।

मैं यूं ही नहीं.....


माना ये मेरी बातें हैं झूठी हैं सभी, 

मगर तारी है छुअन मीठी भी अभी,

हुस्न ओ शबाब कब चाहा था हमने, 

फिर बिन पीये शराब सा क्या सारी रात चढ़ता रहा।

मैं यूं ही नहीं सारी....


                 


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