प्रेम एक एहसास
प्रेम एक एहसास
प्रेम इक हँसी अहसास है,
जीवन की लय औ ताल है।
प्रेम के रंग में रंगा जग सारा,
प्रेम ही तो त्रिभुवन का सार है।
पक्षियों के कलरव में प्रेम है,
नदिया की धारा में प्रेम है।
फूलों का खिलकर बिखरना प्रेम है,
प्रकृति के कण-कण में प्रेम है।
हे!मनुज बस तू ही इससे अनजान है,
दिलों में पाले यूँ नफरतों की खान है।
समझ जा अब भी प्रेम में ही तेरी शान है,
प्रभु द्वारा दिया गया अनुपम वरदान है।
काँटों को फूलों से प्रेम है,
पतझड़ को सावन से प्रेम है।
धरती को अंबर से प्रेम है,
जीवन को मौत से प्रेम है।
प्रेम ही जीवन का सार है,
प्रेम ही निराकार, निर्विकार है।