STORYMIRROR

Uma Vaishnav

Abstract

3  

Uma Vaishnav

Abstract

प्रेम बिना... ❤️❤️

प्रेम बिना... ❤️❤️

1 min
235

प्रेम की कोई एक भाषा,

कोई एक जुबान नहीं होती,

प्रेम बिना जिंदगी में,

     

कभी मुस्कान नहीं होती,

प्रेम बिना दिल में धड़कन,

मन में चाह नहीं होती,


प्रेम बिना जिंदगी इतनी,

कभी खुशनुमा नहीं होती,

प्रेम बिना कृष्ण की मूली में,

 

वो मीठी तान नहीं होती,

प्रेम बिना मीरा के घुँघरू में,

वो मधुर झंकार नहीं होती,


प्रेम है अनोखा बंधन,

जिसके बिना ये कायनात नहीं होती।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract