प्रभु!! इतनी सी कामना
प्रभु!! इतनी सी कामना
ना मांगती वरदान मैं,
मुझको मगर मेरे प्रभु,
मेहनत का तू ईनाम दे,
ना रात का डर मुझे,
लेकिन रवि की रोशनी,
जो दिन में भी अब खो रही,
लौटा दी फ़िर वो रोशनी,
दिन में तिमिर को थाम ले,
ना मांगती फूलों भरा हो,
लक्ष्य तक मेरा सफ़र,
कर्तव्य पथ पर चल सकूं,
बस काम में बीते प्रहर,
ना दौर ऐसा आए कोई,
मार्ग में पीछे हटूं,
जो चुनूँ अपने लिए,
उस मार्ग में आगे बढूँ,
जब तक चले ये श्वास,
तब तक राह मैं चलती रहूँ,
जिस मोड़ पे हों बंद आंखें,
बस उसे मंज़िल कहूँ,
मेरी इस अरदास को,
जो चाहे तो वो नाम दे,
लेकिन प्रभु जीवन को मेरे,
बस यही अंज़ाम दे।
