प्रार्थना
प्रार्थना
करूँ वंदन नमन तुमको,
कमलनयनी हे दुर्गेश्वरि।
वीणापाणि माँ शारदे,
हरो अज्ञान भुवनेश्वरि।।
माते- मैं मूढ़ अज्ञानी,
प्रज्ञबल बाहुबल देना।
करूँ पुरुषार्थ परमारथ,
नैष्ठिक तत्व सबल देना।।
धूप नैवैद्य से अर्चन,
शुचिता लेखिनी सत्वर।
य: देवी अघहारी,
कटें संशय जो घने अंर्त।।