सकारात्मकता
सकारात्मकता
जिस किसी से बात करो, वह डरा हुआ है
या कहते हैं डिप्रेशन में हैं !
किस बात का डर किस बात का डिप्रेशन
क्या हमें अब मालिक पर बिलकुल भरोसा नहीं रहा
क्या हम इतने कमज़ोर हो गए हैं ?
सिर्फ़ १० दिन अगर हॉस्पिटल में रहना पड़ जाता है
तो ऐसी क्या आफ़त आ जाती है !
हम भूल गए कि बच्चों को थोड़ी चोट लगने पर क्या बोलते थे
हम यह भी क्या भूल गए कि हर दुःख तकलीफ़ पर
कहते कि सूली का सूल बन गया?
क्या हमें याद नहीं कि हम हर छोटी बढ़ी तकलीफ़ के लिए
कहते कि कर्मों की सफ़ाई हो रही है !
याद रखें, जो हो रहा है मालिक के रज़ा में हो रहा है,
उनके हुकम से हो रहा है,
मालिक किसी का ग़लत कभी कर नहीं सकते !
याद रखें कि हमारे ऊपर हाथ किसके हैं !
याद रखें हम एक शहंशाह की औलाद हैं,
हम कमज़ोर नहीं हम डरपोक नहीं !
यह एक छोटी सी अस्थायी बीमारी का मुक़ाबला हम हिम्मत से करेंगे,
मालिक का नाम लेकर सिमरन करते करते करेंगे !
मालिक से हम शिकायत नहीं शुक्र शुक्र करेंगे !
हर पल हम खुश रहेंगे !
हम हर पल याद रखेंगे कि हम एक शहंशाह की औलाद हैं,
हम कमज़ोर नहीं ! हमें कैसा ड़र हमें कैसा डिप्रेशन !
एक दूसरे को सपोर्ट करें,
सहयोग करें तथा प्यार करें ! ये दिन भी गुज़र जाएँगे !
WRITTEN BY
HARGOVIND WADHWANI