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Anuradha अवनि✍️✨

Inspirational

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Anuradha अवनि✍️✨

Inspirational

पंथ मेरा है अपरिचित

पंथ मेरा है अपरिचित

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पंथ मेरा है अपरिचित, 

रहने दो अमा को पंथ घेरे।।

ज्ञान का दीपक जलाकर,

नित- नित लाऊंगा सबेरे।।


प्रतिकूल जर्जर और कटीले

हों राह, कितने ही पथरीले ।

प्रतिक्षण संजोकर हौसले से,

मिटाऊंगा पग- पग के अंधेरे।।


मनुज वही नि:सहाय होते,

जो देख विपत्ति प्रायः घबराते,

दृष्टि स्वयं की उचित साधकर

आऊंगा विपत्तियों के तोड़ फेरे।।


सर्वदा पुष्प रथ का सारथी तो,

भला सामर्थ्य से परिचय हुआ।

हृद् गहन से, मिथ्या संहारकर,

तजाऊंगा भ्रम के सर्व घेरे।।


पंथ मेरा है अपरिचित,

रहने दो अमा को पंथ घेरे।।



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