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Shakuntla Agarwal

Abstract

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Shakuntla Agarwal

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"पनिहारिन"

"पनिहारिन"

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पानी भरने चली कामिनि,

कर सोलह श्रृंगार,

माथे पे बिंदिया,

तन पे साड़ी,

महावर लगे पाँव,

मन ही मन वो हर्षाती,

पिया मिलेंगे आज,

पहला सावन,

मायके में बीता,

मन रहा घबरायें,

पाती लिख - लिख,

काईया हो गई,

तब आयेंगे आज,

दामिनी चमकें,

मेघा बरसे,

तन प्यासा रह जाये,

सामने जब पिया को देखा,

सुध - बुध दी गँवाये,

उबड़ - खाबड़ कटीला रस्ता,

शूल चुभा आये,

शूल की चुभन भी,

फूल सी नज़र आये,

आज पिया मोहे,

अंग लगालें,

सावन बीता जाये,

जन्म - जन्म की प्यास,

"शकुन" पल भर में मिट जाये!


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