पंछी से प्रीत
पंछी से प्रीत
धरा पे चलते चरवाहे, या पंछी नील गगन में
ईश्वर की हैं देन सभी देख प्रफुल्लता मेरे मन में
ये भी हैं अपने मित्र प्रिय, उपयोगी सभी अपने जीवन में
बिन मांगे बहुत कुछ देते, बनते सहायक मानव जीवन में
इन्हे ना तुम कष्ट पहुँचाओ, प्यार से तुम इन्हे बहलाओ
करो रखवाली तन मन से, मानवता का फर्ज़ निभाओ।