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GOPAL RAM DANSENA

Abstract

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GOPAL RAM DANSENA

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पलायन करके मजदूर न बन

पलायन करके मजदूर न बन

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एक पवन है एक धरती

एक भारत एक भारती

एक देश एक गगन

पलायन करके मजदूर न बन।।


तेरे जीवन में है अँधेरा थाती

चुन जाति में श्रेष्ठ जाति

चुन धरम में श्रेष्ठ धरम

पलायन करके मजदूर न बन।।


जा पर अपना चोला बदल ले

समाज के दस्तूर खोखला बदल दे

जो तेरे रग रग भरते है चुभन

पलायन करके मजदूर न बन ।।


तेरे अपने यहां ताने कसते हैं

तेरे आसपास बंधन बसते हैं

तोड़ ये बंधन अपने अंतर्मन

पलायन करके मजदूर न बन ।।


वही सूरज धरती वहीं पवन

वही हाथ पैर मेरे तेरे तन

वही हाव भाव तेरे मेरे मन

पलायन करके मजदूर न बन ।।


अपने मेहनत का तू मोल कर

किस्मत बदल केवल पेट न भर

शिक्षित पीढ़ी हो कर लगन

पलायन करके मजदूर न बन ।।


रुपया नहीं किसी एक का जिन्न

अपने कमाई का हक से छीन

गणतंत्र का कर निर्लोभ गठन

पलायन करके मजदुर न बन ।।


देख अनन्त धरती आसमान खुला है

किसी का आंगन, न मौत भुला है

जहां सुकून मिले वहीं है वतन

पलायन करके मजदूर न बन।।



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