पिया
पिया
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ओ पंछी पिया घर जा
हमरे पिया से संदेसा ला
कह दियो जो रूठे
बिन बतियाये ना बुझे
तोहरी याद में दिन भर खोये
रतिया में निंदिया हमसे सोये
ना जानत कब बिंदिया फिसली
कब आइबो कह के जो निकली
अब तो आओ सावन आया
हमरे मन की प्रीत जगाया
ओ रे पिया हम कैसे जिये
बिन बादल अँखिया बरसे
माटी की खुश्बू याद ना आये
झूले अकेले रोये गाये
आजा पिया हम कैसे बुलाये
चंदा अकेले कब तक निहारे
अब हम अकेले, अकेला सूनापन
सुनी पढी गालिया तोहरे बिन
सुना हुआ मन, सुना शहर है
कब आओगे, दिल मिट्टी का घर है।