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Raunak Singh

Abstract

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Raunak Singh

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मल्हार

मल्हार

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मेरे अरमानो में है तेरी महक

जब देखूँ कही बस तू आये नज़र

पूरी उम्मीद से बैठा हूँ इंतज़ार करूँ

ले चल मुझे सितारों के परे तुझे है मेरी कसम


तू मुझमे बस गया कुछ ऐसे सनम

नींद भी ना आये तेरी कसम

एक बार मुलाकात करने दे नैनो से

खत्म भी हो जायु तो ना होगा गम


मेरे अरमानो में है तेरी महक

जब देखु कही बस तू आये नज़र


मेरे रास्ते को खत्म होने का इंतज़ार नहीं

नही मिलती है मल्ज़िल तो कोई बात नहीं

बन के रह बस तू यू ही मेरा हमसफर

न बन सका फिर भी कोई बात नहीं


मेरे मन में बस तू है बसा

दिल मिलाले और ना सता

कही टूट ना जाए अरमान मेरे

पलको में छुपा ले और ना सता


मेरे अरमानो में है तेरी महक

जब देखूँ कही बस तू आये नज़र।


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