मासूम मोहब्बत
मासूम मोहब्बत
क्यूँ ख़ुदा से दुआ में मैं तुझ को मांगू
तुझे हासिल करूँ या बस तुझे चाहूं
तूने इस कदर दीवाना किया मौसम
की तुझे याद करूँ या याद बन जाऊँ
बन के तारा तुझे रोशन करूँगा हर शाम
ठण्डी हवा में भी महकूँगा सुबह शाम
मैं कुछ ऐसा खोया हूँ तुझ में मौसम
के तू सुबह और मैं शाम बन जाऊँ
हर पल में, वो एक पल, जो पल याद आता है
वो पल, कुछ ऐसा पल है, जो पल भर में मर जाता है
वो पल, न जाने किस पल में है वो पल भर
मेरा पल है कुछ पल का जो पल है अभी पल भर