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Piyosh Ggoel

Inspirational Children

4  

Piyosh Ggoel

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पिता प्रेम

पिता प्रेम

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अयोध्या में राज करते थे दशरथ बलकारी ।

एक बार उनके महल में मची धूम भारी ।।

कौशल्या के गर्भ से श्री राम ने जन्म पाया ।

नारायण को देख देवों ने गुणगान गाया ।।

सुमित्रा के गर्भ से आये लखन प्यारे ।

साथ मे आए शत्रुघ्न जिनसे सारे शत्रु हारे ।।

कैकयी के गर्भ से आए भरत तपस्वी ।

हर्षित हुए दशरथ देख बालक तेजस्वी ।।

अब तो बालक भी बड़े हो गए ।

माता - पिता की सेवा में वो खो गए ।।

कभी आपस मे वो नहीं झगड़ते ।

माता - पिता को एक सा वो स्नेह करते ।।


श्री राम की वीरता सुनकर दशरथ खुश होते है ।

राम का राज्याभिषेक करने की बात वो सोचते है ।।

घोषणा सुनकर प्रजावसी की खुशी का न रहा ठिकाना ।

हर कोई ऐसे खुश हुआ जैसे घर में भर गया हो खजाना ।।


दासी मंथरा के मन में भड़की ईर्ष्या की ज्वाला ।

कैकयी को उसने राम के विरुद्ध भड़का डाला ।।

पुराने वचनों की याद दिलाई ।

अब भड़की कैकयी माई ।।


कैकयी ने मांगा राम के लिए १४ वर्ष का वनवास ।

और अवध राज्य हो भरत के पास ।।

सुनकर कैकयी की बारे दशरथ घबराते है ।

फिर वो जमीन पर मूर्छित हो जाते है । ।


दशरथ का देख हाल कैकयी को दया न आए ।

अपने ही हाथों कैकयी अपना सिंदूर सुखाए ।।

तभी आर्यसुमन्त वहां आते है ।

वो राम को फिर बुलाते है ।


पिता की ऐसी दशा देख राम कैकयी से कहते है ।

पिता क्यों आंखों से आंसू बहाते है ?

कैकयी बोली मैंने तो दो वर मांग लिए ।

पर तुम्हारे पिता नहीं दे पाते तुम्हारे लिए । ।


मैंने तो मांगा तुम्हारे लिए वर्षों का वनवास ।

और अवध राज हो भरत के पास ।।

बाते सुनकर राम हर्षाते है ।

और वो कहते है ।।

अपने पिता का मैं वचन निभाऊंगा ।

पिता के खातिर मैं वन में जाऊंगा ।।

तब राम सिया व लखन सहित वन जाते है ।

अपने पिता का वचन राम निभाते है ।।

जो पिता के लिए वन में जाते है ।

वो ही राम कहलाते है ।।

श्री राम के पिता प्रेम का वर्णन नहीं होता ।

मैं तो श्री राम के चरणों में हों खोता ।

            जय श्री राम



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