फूल खिज़ा में।
फूल खिज़ा में।
उनकी आहट से खिल उठे फूल खिज़ा में,
हमें जुस्तजू रहती है दीदार के लिए,
उस शिरीन सी मुस्कुराहट के दीवाने बहुत हैं,
ज़िद है वो मुस्कुराए तो सिर्फ़ हमारे लिए,
उनकी हर एक ख़्वाहिश पूरी करने की तमन्ना है,
वो चाहे ख़्वाहिश करे माहताब की,
जो इस मोहब्बत का इल्म हुआ उन्हें,
हम तो कोशिश करेंगे आफ़ताब की

