फूल गुलाब का खिलता है
फूल गुलाब का खिलता है
मानव जीवन तप कर के ही साथी जग में फलता है
जैसे कांटो बीच जगत में फूल गुलाब का खिलता है
भक्ति की शक्ति से ईश्वर खुद आगे आ जाता है
जैसे नदियाँ से मिलने को सागर रोज मचलता है
कोमलता के बल से देखो रस्सी की ताकत साथी
पनघट पर घिसने से उसके पत्थर रोज पिघलता है
आशा की किरणों से साथी सब मुमकिन हो जाता है
जैसे पाहन तोड़ के दरिया कल कल अविरल चलता है
इस जीवन मे राह न हो पर फिर भी आगे बढ़ जाना
क्योंकि चीर के बादल जग में आशा सूर्य निकलता है
ख़ुशियाँ को पाकर जो प्राणी दंभ से जग में भर जाता
उसी समय से ख़ुशियों का भी उसका सूरज ढलता है
सीधे खड़े वृक्ष है जो भी सबके सब समझो पतझड़
लेकिन झुका वृक्ष ही साथी जग में हर दम फलता है
नभ छूने की आतुरता से जो भी आगे निकला है
मंज़िल देख देखकर उसका साथी लहू उबलता है
आशा से आकाश थमा है ,हिम्मत से धरती प्यारे
और प्यार के बंधन से ये सारा जग भी पलता है
ऋषभ अगर तूफानों से लड़ने की हिम्मत पास रही
पौरूष की उस ज्वाला से लोहा पल में पिघलता है