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Mukesh Bissa

Abstract

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Mukesh Bissa

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पहले से ज्यादा

पहले से ज्यादा

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जिन्दगी बदली- बदली सी पहले से ज्यादा

निखरने लगी सुबह- शाम से भी ज्यादा


फूल भी महकने लगे हैं पहले से ज्यादा।

 झरने लगी है चाँदनी अब रातों में ज्यादा


गुनगुनाने लगी हैं धड़कनें मधुर गीत ज्यादा

दुनिया अजनबी कम लगती है कल से ज्यादा।


हसीन आँखें छलकने लगी हैं पहले से ज्यादा

सोहबत ने जीना सिखा दिया है पहले से ज्यादा


गिर कर सँभलना सिखा दिया है पहले से ज्यादा।


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