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Manoj Kumar

Inspirational

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Manoj Kumar

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पहला सफ़र

पहला सफ़र

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सड़क ख़ाली पड़ी है

हम चल पड़े उसपर अकेले ही।

एक राह के एक मुसाफिर हैं, वो भी अजनबी।

हम करे तो कैसे क्या दिखाने वाला, राही न ही।


किसी को जानते भी नहीं है

क्या बात करूं कुछ कहकर।

कुछ जिद है सर कुछ करने का

अब क्या करूं सूर्य प्रकाश तपता है यहां पर।


बहुत दिक्कत आती हैं जीवन में।

शोक आता है तो उर्मिला बनकर।

थकान हुआ चलते चलते।

फिर भी नहीं मिली मेरी मंज़िल, चढ़े कैसे उस पर।


जुनून है अंदर जाने का मतवाला बनकर।

कौन कौन से शूल मिलेंगे आगे चलकर।

क्या मै बताऊं क्या मेरा दिल बताएं।

बताएगा मालिक मेरा जो सभी वस्तु में रहता है,

अनन्त रहकर।



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