पहला अहसास
पहला अहसास
एक अद्भुत विस्मयी सी
सरसराहट उठी थी
तन के भीतर तन की
पाँचवें महीने की पगथार पर
गर्भ में धड़कन धड़की
पहले अहसास की
एक नयी नवेली माँ के उर में
भावनाओं की हेली उठी
दस्तक थी आगाज़ था,
एक रिश्ते ने करवट ली
बीज बन गया पौधा
एक जान पल रही कोख में
ये कुदरत की करामात थी
ना शब्दों में कैसे बयान हो
उस पल जगे मन में एक माँ के
मनोभाव की समझो चरमसीमा थी
महसूस बस इतना हो रहा
खास हूँ मैं बहुत खास
एक जान पल रही मेरे तन में
दी है नेमत भगवान ने
नवाजिश दी मुझे कोख की
जग की सारी खुशी एकतरफ़
माँ बनने की खुशी बेमिसाल थी॥
