पहल
पहल
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सोचता हूँ, छोड़ दूँ,
जिंदगी अब जल रही।
पल पल करके रात दिन,
है धुएँ मे जल रही।
आता है कुछ पल मजा,
जिंदगी नशे मे कट रही।
सोचता हूँ, छोड़ दूँ,
जिंदगी अब जल रही।
पैसों से लेता हूँ खरीद,
दिन पे दिन तकलीफ हो रही।
आता है सामने परिवार का चेहरा,
फिर भी आदत नही मान रही।
सोचता हूँ, छोड़ दूँ,
जिंदगी अब जल रही।
सपने सजाए बच्चों के लिए,
पढ़ाई उनकी अच्छी हो रही।
अगर कैंसर पास आ गई तो,
यह सोचकर पसीना, छुट रही।
जीवन अनमोल है, प्यार भरा,
पर उसमे तम्बाखू घुल रही।
सोचता हूँ, छोड़ दूँ,
जिंदगी अब जल रही।
बेटा कहता है बनूँगा अफसर,
प्यारी बेटी बनेगी शिक्षक,
पर तम्बाखू नाम की ये जहर,
सबके सपनो को रौंद रही।
सोचता हूँ, छोड़ दूँ,
जिंदगी अब जल रही।