वो रूठ गई
वो रूठ गई


ना जाने क्यों वो रूठ गई,
मेरे सपनों की रानी।
अनजाने में हुई जो गलती,
भारी पड़ गई शैतानी।
कर रहा था बातें उससे,
ना कि कोई मनमानी।
बातों बातों में निकल गई,
कोई बात पुरानी।
ना मैनें उसको छेड़ा,
ना मैने कुछ भी बोला।
मीठी मीठी बातें की थी,
पर उसने कहा छिछोरा।
लगी बात यह दिल पर मेरे,
पूछ पड़ा मैं अपने मन से।
क्या खता हुई है मुझसे,
वो नाराज़ है, पूरे दिल से।
मैने उससे माफ़ी माँगी,
फिर भी उसने बात ना मानी।
ना किया मुझ पर विश्वास,
कैसे करूँ मैं कोई आस।
वो जो मुझसे रूठ गई,
दिल भी मेरा दुखा गई।
कैसे कहूँ अब दिल की बात,
रात हुई और वह सो गई।
मुझ को अब कुछ समझ ना आए,
रह रहकर उसकी याद सताए।
रात हुई पर नींद ना आए,
मुझ को बस अब रोना आए।
होती अगर सीने में खिड़की,
खोल उसे दिखलाता।
दिल में, मेरे उसको सिर्फ,
अपना तस्वीर नजर आता।