फिर से अहिंसा का पाठ पढ़ने दो
फिर से अहिंसा का पाठ पढ़ने दो
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अन्याय, अनाचार को अब और ना आगे बढ़ने दो ;
माँ की सीख व शिक्षा भूलकर किसी को न लड़ने दो !
अपने अंतस की आवाज़ को ना रोको, इन्हें कहने दो ;
देश की दुर्दशा पर इन्हें अपना मन हल्का करने दो !
नाना प्रकार की लिप्सा में लिप्त हैं कैसे युवा जन ;
आज के उन युवाओं को देश हित के लिए जगने दो !
समाज में चहूँ ओर देखो, कैसी हो रही विसंगतियां ;
किसी गैर के दर्द से भी अपनी अँखियों को बहने दो !
षडयंत्र, सियासत व सत्ता के लिए जो लोग लड़ रहे हैं ;
उन्हें फिर से सद्भाव और अहिंसा का पाठ पढ़ने दो !