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Amit Mall

Inspirational

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Amit Mall

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फिर एक बार

फिर एक बार

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फिर एक बार ख़्वाब मुझे बुनने दो

थक चुकी है रात, मुझे सोने दो


गर्दा डाल दिया है मैंने घावों पर

कड़वी यादों को मुझे भूलने दो


कुहासा पड़ गया है रिश्तों पर

अब मुझे दोस्तों से बचने दो


जो मेरे वश में नहीं, उसकी फ़िक्र नहीं

जहाँ से जिंदगी मिले, डोर पकड़ने दो


जिन्दगानी का सबब मैंने सीख लिया है

गिरते पड़ते फिसलते चलने दो !


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