फेयर वेल
फेयर वेल
स्कूल,
एक ऐसी जगह,
जहाँ हम सब पहली बार गये थे
अपने घर वालों को छोड़ के,
दोस्ती करना जहाँ पर सीखा था,
कुछ नया सा रिश्ता जोड़के,
जहाँ पर हम सभी रोते हुए आए थे,
और रो रहा है आज हमारा आखरी दिन,
क्योंकि आज भी याद आते हैं,
वो खट्टे मीठे स्कूल के दिन,
जब सुबह देर से उठे तो
घर के बाहर खड़ी होती थी वैन,
और बार बार हौर्न बजाती,
फिर पापा हमें डांट देते,
स्कूल के टीचर के हम नये नये नाम बनाते,
हर रोज टीचर को गुड मॉर्निंग
टीचर का एक गीत सुनाते,
टीचर जब भी पीछे मुड़ती
तो छुपकर लंच खाते,
दोस्तों का लंच उनसे
पहले ही खत्म कर जाते,
वो ब्लैक लिस्ट का टैग लगा के,
हम बैक बेंचर्स कहलाते,
पेन फाइट् से लेकर कितनी ही गेम्स,
हम पीछे बैठकर खेला करते,
वो पेन्सिल से पेन मे कनवर्ट होने वाली फीलिंग,
और पेन्सिल को मिस करने वाली फीलिंग,
वो वॅश्रूम मे सबका साथ जाना,
और आधा लेक्चर वही बिताना,
वो छोटी सी लड़ाइयों पर,
"स्कूल के बाहर मिल",
ये कहकर एकदूसरे को हङकाना,
वो दिवाली पर पटाखों से कितना
बवाल मचाते थे,
वो स्कूल के प्रोजेक्ट,
तो कम्प्यूटर लैब की बातें,
कोई एक पानी पीने जाए,
तो उसको अपनी बोतल भी पकड़ा देते,
वो कॅपी का कवर,
तो स्टाफरूम मे जाने का डर,
कुछ होते थे अच्छे वाले टीचर,
तो कुछ होते थे खतरनाक टीचर,
दोस्तों के साथ स्कूल आना जाना,
तो कभी घर देर से पहुँचने पर
माँ की डांट खाना,
जब एनुअल फंक्शन आता,
तो पूरा स्कूल जगमगा जाता,
हम सब भी सज धजकर जाते,
और कितनी मस्ती मारते,
जन्म दिन पर सबको एक एक,
और अपने प्रीय मित्र को,
दो चॉकलेट देना,
वो कागज के जहाज़,
तो पुस्तकालय मे फुसफुसाके बात करना,
और कभी गरूप फोटो में
दोस्त को गुदगुदाके हँसाना,
वो 15 अगस्त के लड्डू,
तो लेक्चर के बीच की हुई बाते,
वो होली को होली के
पहले खेल के आना,
तो दोस्तों की कस्में,
दिन महीने साल,
ये सब कब बीत गए
समझ ही नहीं आया,
हमारे फेरवेल ने आके,
हम सब को स्कूल की नींद से जगाया,
और आज जैसे की आप सभी
सजा धजके आए हैं,
लड़कियाँ बालों को स्ट्रेट करके
साड़ी पहन के आईं हैं,
लड़के बालों में जैल लगाकर आए हैं,
बस अब यही है कहना,
तूम अपने जिन्दगी में मुसकुराते ही रहना,
और मिलते रहेंगे यारों,
हमे भूल न जाना,
इन यारों को अपने याद में रखना,
और इन यादों को अपने साथ में रखना।