पहेली
पहेली
ज़िंदगी एक पहेली है
जिसे हाँ या ना से बुझना
यहां कभी हाँ कहना गवारा नहीं
तो उससे मुश्किल कहना ना।
इस हां ना की कशमकश में
किसी दिन शायद पर रुक जाते हैं हम
ये दुनिया की भीड़ में
ढूंढते खुशी कभी सहते गम।
चीजों के रखते शौक बहुत
और इंसानों को हे भुला देते
पैसों से कमाते शोहरत
और इंसानियत को हम भुलाते।
कुछ रख तु याद कुछ दे भुला
कभी सुन दिल की
कभी दिमाग ही भला
मेहनत को हाँ
और हारने को कह तू ना।
शायद ऐसे ही है
जिंदगी की पहेली को बुझना।