पहचान छोड़ जाना…
पहचान छोड़ जाना…
पहचान छोड़ जाना…
चाहा मैंने भी कुछ ऐसा करूँ की दुनिया मुझे याद रखे
पर ऐसा क्या करूँ
ना तो मैं कोई अदाकार हूँ
ना ही मैं कोई बड़ा हुनरमंद हूँ
ना मैंने बड़े काम किए
फिर याद आया …..
जन्म तो मेरा भी हुआ
इस धरती पे …
कुछ तो बात होगी मुझ में भी
जो इंसान बनाया उस ने …..
तो ये पैगाम है मेरा
हर उस शख़्स को
जिस ने सहा, जीया, महसूस किया
उन लम्हों को …
जाने से पहले …
अपनी कलम से सजाना
हम भी आए थे यहाँ
रहे थे …..ये इतिहास बनाना
