STORYMIRROR

Nishi Singh

Abstract

1  

Nishi Singh

Abstract

पैसा

पैसा

1 min
178


जीते पैसा, मरते पैसा,

दुनिया का हर खेल है पैसा।

कौतुक के इस दुनिया में,

बिन पैसे का जीवन कैसा।

दुनिया के इस मेले में,

हर लोग है क्यों झमेले में ?

निन्यानबे का चक्कर हीं ऐसा,

बीन पैसे का जीवन कैसा।

स्वार्थपूर्ण इस दुनिया में,

रिश्ते का कोई मोल नहीं।

कोई चीज अगर अनमोल है,

तो चारो ओर, वो है पैसा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract