पायल
पायल
"पायल करती तेरी खन खन
झंकृत होता मेरा मन
छोटे छोटे घुंगरू के टकराने से बजती मीठी धुन
सौंदर्य और संगीत का ऐसा अदभुत मिलन
रूपवती तू चंचल यौवना
पायल है तेरे श्रंगार का गहना
लाल अल्तिया लगे पैरों पर पायल सजती
सारे संसार की सुंदरता उसमें बसती
दूर से पायल के छम छम की जब आवाज आती
तुझे देखने की ललक मुझमें बढ़ती जाती
ह्रदय में बसी पायल पहने तेरी मनमोहक छवि
उस मधुर याद में मैं बन गया कवि"।