पापा
पापा
हर कवि हर लेखक सिर्फ मां का बखान करते हैं,
पर मैं कहती हूं कि पापा भी तो काम बहुत से महान करते हैं।।
सब कहते हैं कि मां ममता की मूरत हैं,
पर पापा भी तो त्याग और बलिदान की सूरत हैं।।
मां अपने बच्चों के लिए चिड़िया का घोंसला हैं,
पर पापा भी तो हम चिड़ियों के उड़ने का हौसला हैं।।
मां का प्यार उनके लाड़ और दुलार से छलकता है,
पर पापा का प्यार उनके गुस्से और डांट में ही झलकता है।।
कोई तकलीफ़ होती है तो हम सबसे पहले मां को पुकारते हैं,
हमारी तकलीफ़ में मां तो रोने लगती है, तब पापा ही तो हम दोनों को संभालते हैं।।
मां की दुआ हमें हर मुश्किल से बचाती है,
तो पापा की दी हिम्मत हमें हर मुसीबत से लड़ना सिखाती है।।
मां का प्यार ऐसा है जैसे धूप में साया घना,
पर पापा के प्यार को दर्शाने वाला कोई लफ्ज़ ही नहीं बना।।
मां को सब मोम की तरह मुलायम और फूल की तरह मानते हैं,
पर मेरे पापा भी ऊपर से सख्त और अंदर से नर्म हैं ये हम बच्चे जानते हैं।।
मां के प्यार को तो हर बच्चा पहचान जाता है,
पर बाप की डांट में छिपे प्यार को नहीं हर बच्चा जान पाता है।।
मां के पैरो तले जन्नत है, तो पापा उस जन्नत का दरवाज़ा हैं,
ऐ ख़ुदा तेरा लाख लाख शुक्र है कि तूने हमें इतने अच्छे मां बाप से नवाज़ा है।।
कैसे करूं शुक्रिया तेरी नवाज़िश का ऐ ख़ुदा,
बस यही दुआ है कि कभी न करना मां पापा को हम बच्चों से जुदा।।