पाप घड़े
पाप घड़े
कालकवित हो गये कई चेहरे
दिल में थे जिनके रिश्ते गहरे
कोरोना ने असमय लील लिया,
कितने निर्दयी होते विधि सेहरे
आदमी सब पे विजय पा लेता,
पर मौत पे नही उसके पहरे
बरसा मेरे मौला रहमत तेरी,
तुझे जानते सब रोशन सवेरे
कर दे अंत शैतान कोरोना का,
इसने दिये हृदय पे जख़्म गहरे
सब जानता है,तू मेरे ईश्वर,
हम है,पाप के बहुत घने घर,
बरसा करुणा,कबूल कर दुआ,
हम है,भक्त पापी नादान तेरे
तू चाहे क्या न हो सकता है,
तेरी दया से सब हो सकता है
तेरी एक नजर से तो खुदा,
एक मुर्दा जिंदा हो सकता है,
बचा ले हम मानवों को भगवान,
तू अंतर्यामी शक्ति,बुद्धि से परे
अब न ले और तू परीक्षा,
हमको मिल गई है,शिक्षा,
अब न करेंगे बुरे कर्म,
रखेंगे हम सही निष्ठा,
प्रकृति का ख्याल रखेंगे,
न छेड़ेंगे प्राकृतिक फ़िजा
माफ कर दे,रब,प्रभु,खुदा,
हम न रहेंगे सच से बहरे
अच्छाई के रस्ते चलेंगे,
अब न भरेंगे पाप घड़े।