पाप औ' पुण्य
पाप औ' पुण्य
आओ मैं एक राजा की तुमको कहानी सुनाती हूंँ…...
जब वह अपने अच्छे कर्मों के कारण राजा बन जाता है,
सत्ता के मिलते ही करने लगता हैं हुकूमत।
राजा के थे दो गण,
दोनों तरफ खड़े रहते थे दोनों।
एक तरफ था खड़ा पाप,
औ' एक तरफ था पुण्य।
जब उसके सर पर धूमता था पाप,
तो गंदे कर्म वह करता था।
जब उस पर हावी हो गया पुण्य,
तो वह अच्छे कर्म करता था।
जब तक पाप का जोर रहा तब तक करोना फैला रहा,
जैसे जैसे पाप पर पुण्य हावी हुआ करोना कम हो गया।
पाप हमेशा दुष्कर्म करवाता है,
और पुण्य हमेशा अच्छा सद्कर्म करवाता है।
पाप करने का नतीजा हमेशा खराब होता है,
पुण्य करने का नतीजा हमेशा अच्छा होता है।
