STORYMIRROR

मिली साहा

Inspirational

4  

मिली साहा

Inspirational

पांच शिष्य

पांच शिष्य

2 mins
383

गुरु बिना ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना जीवन अंधकार,

गुरु से ज्ञान पाकर ही जीवन को मिलता आकार,

एक आश्रम में एक गुरु के थे पांच होनहार शिष्य,

गुरु की प्रबल इच्छा, उज्जवल हो इनका भविष्य,

पांच शिष्य थे इच्छा, बल,बुद्धि,धैर्य और विश्वास,

सभी खुद को बलशाली कहते लड़ते थे दिन-रात,

पांचों में नहीं बनती थी गुरुजी हो गए बड़े परेशान,

सोचा इस समस्या का कुछ होना चाहिए समाधान,

गुरुजी ने पांचों शिष्यों को बुलाकर एक कार्य दिया,

तख्ते पर लगी टेढ़ी कील को सीधा करने को कहा,

इच्छा, बल, बुद्धि,धैर्य,विश्वास सब बारी बारी आए,

खूब लगाई ताकत पर कील को सीधा ना कर पाए,

हार चुके थे बल लगाकर सब तब गुरुजी ने बुलाया,

अलग-अलग तुम्हारा महत्व नहीं सबको समझाया,

बिना इच्छा किसी कार्य की ना हो सकती शुरुआत,

इच्छा अधूरी रह जाती है अगर मन में न हो विश्वास,

बल और बुद्धि जब मिल जाते हैं तो बन जाती बात,

किंतु कार्य तभी पूर्ण होता है जब धैर्य देता है साथ,

तभी एक शिष्य बोला सब तो ऊपर वाला करता है,

हम सबका रिमोट उस ईश्वर के हाथों में ही रहता है,

गुरुजी बोले रिमोट जरूर ईश्वर के हाथों में होता है,

किंतु कर्म किए बिना कोई सफल नहीं हो सकता है,

कर्म इच्छा, बल, बुद्धि, धैर्य,और विश्वास से होता है,

जिस इंसान में ये गुण है वो कभी हार नहीं सकता है,

यह सब सुनकर सभी शिष्य समझ गए गुरु की बात,

टेढ़ी कील को सीधा किया सबने मिलकर एक साथ,

चेहरे पर सब की चमक थी गुरु की शिक्षा काम आई,

सबका महत्व एक बराबर है यह बात समझ में आई,

शिष्यों के जीवन की कोरी स्लेट पर पड़ा ज्ञान का प्रकाश,

अंधेरा हटा मन से एक हुए इच्छा, बल, बुद्धि, धैर्य,विश्वास।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational