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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

ओ री वुमनिया

ओ री वुमनिया

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शीर्षक है मजेदार ओ री वुमनिया, 

गीत सुना जब ,तो दिल भी गुनगुनाया ,

ओ वुमनिया ओ वुमनिया ओ ओ ssss, 

तभी पीछे से पतिदेव ने फरमाया, 


अच्छा गाती हो पर हमें कभी नहीं सुनाती हो ,

हमने कहा बस आज मन हो आया गुनगुनाने का,

और इसलिए तो यह गीत यूँ ही हमने गुनगुनाया ,

पतिदेव जी बोले चलो एक काम करो चाय लाओ,

और हमारे साथ बैठकर इस वुमनिया को , 

जरा विस्तार से हमें समझाओ, 


जल्दी से बना ली चाय और साथ में कुछ पकौड़े भी, 

और फिर औरत से वुमनिया के सफर पर चल दिए, 

पतिदेव जी मुस्कुराए और हम भी उन्हें देख शरमाये , 

मैंने कहा यह वुमनिया हर पुरुष के जीवन का हिस्सा है, 

कोई इसे भुला दे तो उसके लिए सिर्फ यह किस्सा है, 

कहते हैं औरत से वुमनिया का सफर बड़ा लंबा है ,


बेलन लेकर ही सही लड़ जाती है वो हर मुश्किलों से,

खड़ा हो सामने मुसीबतों का चाहे खम्भा हो ,

जीवन की पगडंडियों पर गिरती संभालती ऊंची हील पहनकर , 

समय ना होने पर भी समय निकालती है शौपिंग के लिए, 

पति को खुश करने के लिए और जेब ढीली करने के लिए, 

चाय के साथ-साथ पकौड़े भी तलकर जरूर लाती है, 


अपने स्वाद से ज्यादा सबके स्वाद का ध्यान वो रखती है, 

यह वुमनिया कभी रोती तो कभी हंसती अपनी बात मनवाने के लिए, 

कभी सूट, कभी साड़ी तो कभी जींस में भी खूब जंचती है, 

एक हाथ में सब्जी का थैला दूसरे हाथ में लैपटॉप का बैग भी पकड़ती है, 

स्मार्टनेस तो कूट-कूट कर भरी इसमें सामने वाला देख कर भी पहचान ना पाए

 बात अपने पर आये तो कभी दुर्गा तो कभी काली भी बन जाती है, 


यह बात सुन पतिदेव जी थोड़ा सा घबराए, 

हाथ जोड़कर बोले, तुम धन्य हो देवी, तुम धन्य हो

ओरी वुमनिया तुम बहुत ही खूबसूरत लगती है! 


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