नज़रिया
नज़रिया
कुछ नज़रअंदाजी का कमाल
कुछ हो नज़रिये में दुरुस्ती,
जब होती कमज़ोर नज़र
सीखें दुनियादारी का हुनर,
कुछ लगे ख़बर कुछ हों बेख़बर
बनें जरा सा अहल-ए-नज़र,
हर तरफ दिखे नज़राने
बदले बदले लगे नज़ारे !
कुछ नज़रअंदाजी का कमाल
कुछ हो नज़रिये में दुरुस्ती,
जब होती कमज़ोर नज़र
सीखें दुनियादारी का हुनर,
कुछ लगे ख़बर कुछ हों बेख़बर
बनें जरा सा अहल-ए-नज़र,
हर तरफ दिखे नज़राने
बदले बदले लगे नज़ारे !