Dimple Vishwakarma
Drama
सब नज़रिए का
खेल है बस,
वर्ना लोगो को
चाँद की ख़ूबसूरती में भी
दाग नज़र आ जाते है...।
हौसला..
नज़रिया
स्वर्णिम लम्हों की यादों के साथ संग रहता है प्रतिपल ... स्वर्णिम लम्हों की यादों के साथ संग रहता है प्रतिपल ...
खुशियों को ढूंढने निकली, खुशियों की दुनिया में पर कांटे ही चुभ गए, खुशियों को ढूंढने निकली, खुशियों की दुनिया में पर कांटे ही चुभ गए,
यह मुआ मौसम है आफ़त सी, करूं मैं क्या यह मुआ मौसम है आफ़त सी, करूं मैं क्या
थोड़ा सा तो कुछ असर पड़ेगा , शायद बदले मेरा देश। थोड़ा सा तो कुछ असर पड़ेगा , शायद बदले मेरा देश।
बिन दरवाज़े बिन खिड़की के इस पिंजरे का क्या करूं, इन हथेलियों पर लिखें कल को मैं कैसे बिन दरवाज़े बिन खिड़की के इस पिंजरे का क्या करूं, इन हथेलियों पर लिखें कल को ...
साहूकार ने हाथ बढ़ाया, सहयोग के नाम पर कब से नज़र जमा रखी थी, उसने हमारी मकान पर साहूकार ने हाथ बढ़ाया, सहयोग के नाम पर कब से नज़र जमा रखी थी, उसने हमारी मकान ...
कैसे समझूँगी मैं अपना उनको जिनको मुझसे प्यार नहीं, कैसे समझूँगी मैं अपना उनको जिनको मुझसे प्यार नहीं,
बार बार अलार्म का बजना, और मेरा उसे बंद करना, बार बार अलार्म का बजना, और मेरा उसे बंद करना,
मौसम थे बदले, फिर भी बदलेंगे, ये है वो सफर जिसकी मंज़िल नहीं, मौसम थे बदले, फिर भी बदलेंगे, ये है वो सफर जिसकी मंज़िल नहीं,
अमीरों की कीमत चुकानी है मुश्किल तो गरीबों का प्यार चुकाना उस से भी ज्यादा मुश्किल अमीरों की कीमत चुकानी है मुश्किल तो गरीबों का प्यार चुकाना उस से भी ज्यादा मु...
बस रोने की वजह बदल गई पड़ोस में एक बेटी गुज़र गई....... बेटी गुज़र गई...... बस रोने की वजह बदल गई पड़ोस में एक बेटी गुज़र गई....... बेटी गुज़र गई......
हर रात का प्रभात होता है, तुम भी शायद ये कहा करती थी। कभी याद तो आती होगी, तुम्हें मेरी व हर रात का प्रभात होता है, तुम भी शायद ये कहा करती थी। कभी याद तो आती होगी, तु...
मन मंदिर में मूरत है वो मूरत ही तुम्हारी है मेरे मन में बसे हो तुम मुख ना मोड़ना मोहन मन मंदिर में मूरत है वो मूरत ही तुम्हारी है मेरे मन में बसे हो तुम मुख ना मोड़...
अलौकिक देव पुरुष, करती वंदन, हे पितृ शक्ति, कोटि कोटि नमन। अलौकिक देव पुरुष, करती वंदन, हे पितृ शक्ति, कोटि कोटि नमन।
तुम हो मेरे ख्वाबों की मल्लिका, इश्क की महफ़िल सजा जाओ, तुम हो मेरे ख्वाबों की मल्लिका, इश्क की महफ़िल सजा जाओ,
बस खो जायेंगी और अंततः सर्वदा के लिए बंद हों जायेंगी। बस खो जायेंगी और अंततः सर्वदा के लिए बंद हों जायेंगी।
चलो उठो मेरे भाई, भर लो उत्साह चलो जोरों से करते हैं तैरने की तैयारी चलो उठो मेरे भाई, भर लो उत्साह चलो जोरों से करते हैं तैरने की तैयारी
चाहत रूह की क्या हैं जान बैठे, उसकी गलियों से यूं गुज़रे की अपना पता हम भूल बैठे, चाहत रूह की क्या हैं जान बैठे, उसकी गलियों से यूं गुज़रे की अपना पता हम भूल ब...
कोई देवता नहीं एक साधारण मानव केवल एक साधारण मानव..................... कोई देवता नही... कोई देवता नहीं एक साधारण मानव केवल एक साधारण मानव..................... ...
ना होती खींचातानी ना करता कोई मनमानी ना होती खींचातानी ना करता कोई मनमानी