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Dr. Akansha Rupa chachra

Action Inspirational

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Dr. Akansha Rupa chachra

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नयन नहीं तो जग सूना है

नयन नहीं तो जग सूना है

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हँसती आँखें दिखती ऐसी, 

जैसे विकसित पुष्प कमल हैं। 

मुखमंडल का रूप निखारें, 

शोभित अनुपम रूप अमल हैं।। 


हँसती आँखें भ्रमर लुभातीं, 

लुब्धक बन रसपान करें। 

जैसे मधुशाला में जाकर, 

मद्यपायी मधुपान करे।। 


हँसती आँखें बतलाती हैं, 

सुख की सुंदर परिभाषा। 

सुखमय और मधुर सपनों का, 

जीवन जीने की आशा।। 


नयन नहीं तो जग सूना है, 

बिन इसके न काम चले। 

मूक अधर जब होते हैं,

तब आँखों से ही बात चले।। 


आँखों से ही पता चले, 

मन क्रोध भरा या घृणा भरी। 

करे इशारे चंचल दृग से, 

षड्यंत्रों से भली भरी।। 


आँखें जब होतीं लाल-लाल, 

भयभीत वहीं कर जाती हैं। 

जब आती है लाज-शरम, 

तब नीचे झुक जाती हैं।। 


नयन-तीर के चलने से, 

घायल उर हो जाता है। 

मुस्काते नयनों का मरहम, 

उसको सुख दे जाता है।। 


मिलती हैं जब दो की आँखें, 

चार वहीं हो जाती हैं। 

फिर पलता है प्रेम वहाँ, 

तो प्रेममूर्ति बन जाती हैं।। 


नेत्रों की अपनी ज्योति नहीं, 

सब दिनकर की महिमा है। 

पशु-प्राणी-जन जग में पाते, 

सब प्रकाश की गरिमा है।। 


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