Chandra Prabha

Inspirational

3.6  

Chandra Prabha

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नया सवेरा

नया सवेरा

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हर सुबह नया सवेरा होता है,

आशा उल्लास भरा।

पक्षी चहचहाते हैं।

प्रात: समीर सुनहरी किरणों से रंगा,

दूर्वा दल पर पड़ी

नन्हीं ओस बिन्दुओं की

सतरंगी लड़ी को दुलारता है।

दूर सरसी में,

बड़े हरे पत्तों के बीच

रक्त कमल खिले हैं

और निर्मल जल में

सूर्य का प्रतिबिम्ब

सोना बिखेर रहा है।


प्रकृति से विवेक लें,

मानव भी कुछ सीख लें।

जो गया उसे जाने दें

नव प्रभात को आने दें

हर दिन एक पृष्ठ है,

जो ज़िंदगी की पुस्तक में

जुड़ता जाता है।

दिन गिने चुने हैं

समय बहुत कम है,

जो करना है अब ही कर लो ।

कि तुम भी कह सको,

आज तो बस जी लिया मैं

फूटती सुबह की अरुणिमा

हवा की वह मादकता,

आज़ादी का वह गीत।

कल जो करना है तू कर ले,

कल की ख़बर कौन जाने ।


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