नया सवेरा..
नया सवेरा..
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अँधेरे सारे परास्त हुये
जग चला उजालों की ओर
निशा भी अब छटने लगी
बस होने वाली है भोर
आशाओं की किरणें फैलीं
अब खिलेगें खुशियों के फूल
प्रिय अप्रिय जो घटित हुआ
सब उसको जाओ भूल
लेकर आया है ये सवेरा
जीवन में एक नयी उमंग
कलरव कर रहे विहग सभी
जैसे बज रहा कोई जल तरंग
प्रस्फूटित हो रही नन्ही कलियॉं
पुष्पित हो रहा सारा चमन
चहुँ ओर बिखरा उजियारा
पल्लवित हो रहा हर मन
फैली आभा तंद्रा टूटी
जीवन का जग झूला झूले
चरितार्थ हो रहा है मानो
बीती रात कमल दल फूले।