नया साल
नया साल
हर साल छूट जाता है
नये साल के स्वागत में
कितने गुनाह मिट जाते है
अच्छे विचारों के संगत में।
नयी उम्मीदों के लगते है मेले
नये साल के आगमन में
रास्ते सजाए जाते है
नये मकाम को पाने में ।
एहसास पे टिकी दुनिया
स्वागत में जुट जाती है
पुराने जख्म ढककर
नये तरानों को पास लाती है ।
फिर से होती शुरुआत को
बिना टोके सब अपनाते है
साल भर के निश्चय को
फिर से एक बार पहन लेते है।