नवरात्र कैसे मनाऊँ मैं माँ -
नवरात्र कैसे मनाऊँ मैं माँ -
सारी दुनियाँ के लिए आया नवरात्र का पावन त्योहार माँ ।
पर कैसे अपनी श्रद्धा जतलाऊँ मैं माँ ?
खोया है अपनी जननी को इसी चैत नवरात्र माँ ।
तू घर घर नवरात्र में आती है माँ ,
पर मुझ से तो हमेशा के बिछड़ गई मेरी माँ ।
तेरे नवरात्र के अष्टमी को माँ ।
अब तुझ से जतलाती हूँ अपनी श्रद्धा,
अपनी अश्कों के बरसात संग माँ '
मन में था बहुत विश्वास माँ ।
तू कभी ना होने देगी मुझे उदास माँ ।
आज वर्ष होने को आया,
दिल हर जगह माँ को ढूँढ़ आया,
पर कभी भी कहीं भी माँ की कोई झलक न दिखें माँ ।
लगता है वो दिन कभी न आये,
जिस दिन मुझ से बिछड़ी मेरी माँ ।
तेरे द्वार सिर हमेशा झुकाऊँ ,
पर हर पल बहुत बहुत याद आये मेरी माँ ।
जिसके बिना सूना सूना हो गया ये जहां ।
चाहकर भी न समझ पाऊँ माँ ।
अब दर्द के ही जोत जलाऊँ माँ ।
देखती रहती हूँ तुम्हें हमेशा ,
शायद तेरे चेहरे में कहीं दिख जायें मेरी मां।
