STORYMIRROR

Nivedita Sinha

Tragedy

4  

Nivedita Sinha

Tragedy

नवरात्र कैसे मनाऊँ मैं माँ -

नवरात्र कैसे मनाऊँ मैं माँ -

1 min
319


सारी दुनियाँ के लिए आया नवरात्र का पावन त्योहार माँ ।

पर कैसे अपनी श्रद्धा जतलाऊँ मैं माँ ?

खोया है अपनी जननी को इसी चैत नवरात्र माँ ।

तू घर घर नवरात्र में आती है माँ ,

पर मुझ से तो हमेशा के बिछड़ गई मेरी माँ ।

तेरे नवरात्र के अष्टमी को माँ ।

अब तुझ से जतलाती हूँ अपनी श्रद्धा,

अपनी अश्कों के बरसात संग माँ '

मन में था बहुत विश्वास माँ ।

तू कभी ना होने देगी मुझे उदास माँ ।

आज वर्ष होने को आया,

दिल हर जगह माँ को ढूँढ़ आया,

पर कभी भी कहीं भी माँ की कोई झलक न दिखें माँ ।

लगता है वो दिन कभी न आये,

जिस दिन मुझ से बिछड़ी मेरी माँ ।

तेरे द्वार सिर हमेशा झुकाऊँ ,

पर हर पल बहुत बहुत याद आये मेरी माँ ।

जिसके बिना सूना सूना हो गया ये जहां ।

चाहकर भी न समझ पाऊँ माँ ।

अब दर्द के ही जोत जलाऊँ माँ ।

देखती रहती हूँ तुम्हें हमेशा ,

शायद तेरे चेहरे में कहीं दिख जायें मेरी मां।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy