आईना
आईना
जीवन के हर पड़ाव पर अपना अक्स दिखाता है आईना ।
बचपन सें जवानी तक सपने चमकाता आईना ।
धीरे - धीरे गुजरते वक्त के साथ ,
बढ़ती उम्र का एहसास कराता आईना ।
चेहरे की खुशी या गम का एहसास कराता आईना ।
हम भले समझ ना पायें ,
पर हमेशा सच्चाई की झलक दिखाता आईना ।
कभी अपनी ही आँखों को गौर से देखो तो,
गुजर लम्हों का भी एहसास कराता आईना ।
कभी साजन के लिए सँजने की चाह बढ़ाता आईना ।
कभी हमें अपनी पहचान कराता आईना ।
जीवन के सुख- दुख के पलों का ,
हमारे चेहरे में झलक दिखाता आईना ।
पर जरा सी ठोकर लगे तो,
टूट कर टुकड़ों में बिखर जाता आईना ।
फिर भी बिखरे हर टूटे टुकड़ों में भी,
अपनी पहचान कायम रखने की सीख संग,
हमें अपना अक्स दिखा जाता आईना ।