नव संवत्सर
नव संवत्सर
हमको है अभिमान अपने मिट्टी का,
संस्कृति, सभ्यता है जिसमें विद्दमान।
विक्रम काल की चहुँओर गाथा,
होते जहाँ नव संवत्सर की कीर्तिगान।
जहाँ की मिट्टी देते सन्देश मानवता की,
इतिहास वीरता की करते बखान।
हर वर्ष जगत करे अगवानी, नव वर्ष की,
होते जहाँ नवसंवत्सर की कीर्तिगान।
धन्य है वह विक्रम इतिहास,
धन्य धरा हमारा प्यारा हिंदुस्तान।
जहाँ के प्रतापी ने की आरम्भ काल की,
होते जहाँ नव संवत्सर की कीर्तिगान।।