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Shipra Verma

Inspirational

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Shipra Verma

Inspirational

नव अंकुर

नव अंकुर

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तुम सूखे से बीज समझ कर

जिसको कचरे में फेंक आये

उसी बीज से आज देखो तो

नव अंकुर फुट ही आये


गीली मिट्टी का जब स्पर्श मिला

अंजुरी भर पानी कोई देने लगा

नव प्राण जगा तब मुझ में फिर

हरे हरे नए पत्ते उगाने लग गया


मेरी चमक और निखार के पीछे

दो माली का हाथ है

वैसे ही जैसे तेरे जीवन में

मात पिता का साथ है


एक वो ईश्वर जिसने मुझे

हर विपत्ति में जीवित रखा

एक वो माली जो अंजुरी से

रोज़ जल मुझे देता रहा


उस सूरज का भी आभार

जिसने अपनी रौशनी मुझे दी

उस पवन का भी धन्यवाद

जिसने प्राण वायु मुझे दिया


अब मैं बड़ा होकर फलदार बनूंगा

इन सब का आभार ऐसे व्यक्त करूँगा

जीवन क्या है एक स्नेह का लेन देन बस

सुख सबको बांट कर जीवन जीऊंगा।



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