नशा...तेरा..
नशा...तेरा..
पैमाने मे जब मै
तेरा हुस्न मिला के पी जाता हूँ
तो जाम का नशा नहीं
तेरी कातिल निगाहों का जहर
चढ जाता है...
मुझे इश्क़ मे देख
मगरुर इतना..
वो चाँद भी तेरे दीदार के लिये तरसता है!
पैमाने मे जब मै
तेरा हुस्न मिला के पी जाता हूँ
तो जाम का नशा नहीं
तेरी कातिल निगाहों का जहर
चढ जाता है...
मुझे इश्क़ मे देख
मगरुर इतना..
वो चाँद भी तेरे दीदार के लिये तरसता है!