'नॉटी' गज़ल
'नॉटी' गज़ल


शिक्षा के गाल पर सामर्थ्य की चिकोटी है,
नेताओं की हरामखोरी भी बहुत 'नॉटी' है !
अपनों को भी चूना लगाना, एक कला है,
कई में है कुव्वत बड़ी, अपनी तो छोटी है !
लोगों का पेट न भरता कफ़न खाने के बाद,
अपनी तो भूख मिटाती, अनाज की रोटी है !
बड़े नवाबियत से चलते हैं उनके साहबज़ादे,
जानते हैं सियासती ताक़त उनकी बपौती है !
दंगा, लूट, ख़ून, आगज़नी, कटी हैं ये फसलें,
जो नेताओं ने सियासती ज़मीन पर जोती है !
हमने देखें चेहरे सियासतदानों के मुस्काते हुए,
क़ायम चहरे पे हँसी रखने को हुक़ूक़ रोती है !
भूखे रहते हुए मुस्कुराना सीख गए हैं अब हम,
भूख लगने लगी हमको बड़ी और मौत छोटी है !