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Sanjay Jain

Romance

3  

Sanjay Jain

Romance

नजरों का मेल

नजरों का मेल

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जब से मिली है नजरें तुम से

दिल मे कुछ तो होने लगा है।

था पहले कठोर और नीरस

अब वो मचलने और पिघलने लगा है।

 

अब क्या मेरे साथ हो रहा है

मुझे नहीं है कुछ भी खबर।

दिल जो था मेरा नीरस सा, 

अब रसों से भरने लगा है।

 

प्रीत प्यार स्नेह मोहब्बत के बूलबूले

अब दिल मे उमड़ रहे है।

जो था कभी खाली खाली सा,

इन प्यारे शब्दों के लिए, 

अब ये दिल मचल रहा है।

 

तेरे प्यार की छाया में सोना है

तेरे दिल में अपने को खोना है।

बस एक दरकार है तुम से

जब भी दिल मिलना चाहें तो,

इसे दिल से मिलने देना।


यही अरमान है मेरे दिल का

अब मना मत करना,

अब मना मत करना।


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