नज्म
नज्म
वो चंद सपने मेरे बड़े लज़ीज़ हुआ करते थे
उसके होंठों के सारे बोल बड़े लज़ीज़ हुआ करते थे
कुछ और इन्हें मंज़ूर न था.. उसी का नाम मेरे लब बोला करते थे..
तन्हाई में अक्सर आईने के आगे दिल का राज़ खोला करते थे.!!
हम रोज़ hii करते थे हम रोज़ by करते थे..
पर उन्हें क्या पता था कि हम उन पे मरते थे.!!

