मेरे अंदर एक लेखक छुपा है मेरे अंदर एक लेखक छुपा है
दानवता को पलते देख रहा हूँ दानवता को पलते देख रहा हूँ
मज़हब का मज़ाक बनाया जाता है, इस नाम पर दंगा फैलाया जाता है। मज़हब का मज़ाक बनाया जाता है, इस नाम पर दंगा फैलाया जाता है।
देशप्रेमी, देश के लिये जीते है देशप्रेमी, देश के लिये मरते है देशप्रेमी, देश के लिये जीते है देशप्रेमी, देश के लिये मरते है
कुछ और इन्हें मंज़ूर न था.. उसी का नाम मेरे लब बोला करते थे.. कुछ और इन्हें मंज़ूर न था.. उसी का नाम मेरे लब बोला करते थे..