दानवता को पलते देख रहा हूँ दानवता को पलते देख रहा हूँ
इसलिए त्याग कर संकुचित सोच कोई, आओ त्योहार मिलकर मनाते रहे। इसलिए त्याग कर संकुचित सोच कोई, आओ त्योहार मिलकर मनाते रहे।
गहराइयां ही तो है हिस्सेदारी में अपनी! तू मेरी लहर तेरा सागर हुआ मैं गहराइयां ही तो है हिस्सेदारी में अपनी! तू मेरी लहर तेरा सागर हुआ मैं
एक नारी हूँ मैं मुरौवत की लबालब रहमदिली हूँ मैं ! एक नारी हूँ मैं मुरौवत की लबालब रहमदिली हूँ मैं !
जवानों की शहादत सर माथे से लगाएं, किसानों की माटी को अपने सर का ताज बनाएं जवानों की शहादत सर माथे से लगाएं, किसानों की माटी को अपने सर का ताज बनाएं